घटता GDP और सरकार
लगातार गिरता GDP भारत की जनता और BJP सरकार दोनों के लिये चुनौती बन रही है,ताजा आंकड़े 4.5% के आने के बाद सरकार सकते है। बाजार ने इन आंकड़ों को पहले से ही अनुमान लगा रखा था। कांग्रेस को छोड़ और दूसरे विपक्षी दलों को ये कोई मुद्दा नहीं लगता क्योंकि उनकी आर्थिक समझ उस तरह की नहीं है जो कांग्रेस के पास है। इस कारण BJP को भी इससे जादा घबराहट नहीं होती। पर क्या कारण है इस तरह GDP नंबर्स क्यों गिर रहे है। आप गौर से देखें तो जो भी कोर सेक्टर है जैसे मैनुफैक्चरिंग, माइनिंग,कैपिटल गुड्स,सर्विस सेक्टर,एग्रीकल्चर सभी में गिरावट देखी जा रही है। सभी लोग कह रहे है डिमांड कम हुई है। पर जब असली कारण डिमांड कम हो रही है नहीं तो आप देखेंगे कि इसमें सबसे बड़े दो कारण दिखाई देंगे पहला कारण GST का आना दुनियां में जिस देश में भी GST लागू की गयी उस देश की GDP ने 1%से लेकर 2% तक गोता लगाया है। और जो सत्ता में थे उनको लोगों ने हरा दिया यहाँ सत्ता नहीं बदली परGDP जरूर गिरा। दूसरा कारण नोटबन्दी भी है, सरकार ने सोचा था कि उसे 2 से 3लाख करोड़ का फायेदा होगा पर ऐसा कुछ नहीं हुआ और एक समानांतर काली अर्थव्यवस्था जो फल-फूल रही थी वो बर्बाद हो गयी। एक और कारण था हमारे वित्त मंत्री साहेब जो अब नहीं है भगवान उनकी आत्मा को शांति दे पर उनके प्रयोगों के कारण भी अर्थ व्यवस्था की हालत खराब हुई उनके और कॉरपोरेट के साथ खराब संबंधों का भी बाजार पर असर पड़ा शेयर बाजार में लांग टर्म कैपिटल गेन लगा दिया और दूसरे कार्यकाल में FII और FPI पर टैक्स बढ़ा दिया। NPA और बैंकों पर ज्यादा सकती भी बाजार को ले डूबी देखते-देखते 100 से ज्यादा बड़ी कंपनियों ने अपने हाथ खड़े कर दिये। और बैंकों ने डर के मारे लोन देने में आनाकानी शुरू कर दी। प्रधानमंत्री के रूप में मोदी जी ने जरूरत से ज्यादा वित्त मंत्री पर भरोसा किया और जिसका परिणाम हुआ इकोनॉमी गोते लगाने लगी। अब पिछले 3 महीनों से सरकार लगातार कदम उठा रही है पर बाज़ार को पटरी पर आने में समय लगेगा। सरकार को शेयर बाजार में लगने वाले टैक्स को कम करना चाहिये आज एक शेयर खरीदने के लिये 6 से 7 तरह के टैक्स लगते है। जबकि शेयर बाजार पूरी तरह से कैशलेस हो चुका है यहाँ सभी लेनदेन चेक या ऑनलाइन से होता है। और जब इनकम टैक्स GST लगता ही है तो फिर इतने टैक्स लगाने की क्या जरूरत है।
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