ऑप्शन ट्रेडिंग में लॉट साइज बढ़ने से फ़ायदा और नुकसान।

आप सही कह रहे हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग में लॉट साइज बढ़ने से ऑप्शन महंगा जरूर हो गया है, लेकिन इसके साथ जोखिम (Risk) भी कम हुआ है। इसका कारण यह है कि:

लॉट साइज बढ़ने का प्रभाव

1. कीमत बढ़ी है:

जब लॉट साइज बढ़ा, तो प्रत्येक ऑप्शन ट्रेड का कुल निवेश मूल्य बढ़ गया। इसका मतलब, छोटे ट्रेडर्स के लिए एकल लॉट महंगा हो गया है।



2. जोखिम कम हुआ:

लॉट साइज बढ़ने से आपको ट्रेड में अधिक कैपिटल का उपयोग करना पड़ता है, लेकिन यह जोखिम को फैलाने (hedging) का मौका देता है।

छोटे लॉट में छोटे मूवमेंट से बड़ा नुकसान होता था, लेकिन बड़े लॉट में मूवमेंट को सहने की क्षमता बढ़ जाती है।



3. वोलैटिलिटी का प्रभाव घटा:

बड़े लॉट साइज में छोटे-छोटे वोलैटिल मूवमेंट्स का प्रभाव कम होता है।

इससे जोखिम का प्रबंधन आसान हो जाता है।





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जोखिम कम कैसे हुआ?

सुधारित लिक्विडिटी:
बड़े लॉट साइज में अक्सर लिक्विडिटी अधिक होती है, जिससे ट्रेडर आसानी से एंट्री और एग्जिट कर सकते हैं।

पोजीशन मैनेजमेंट आसान:
बड़े लॉट में ट्रेडर्स को हेजिंग और स्प्रेड्स जैसी रणनीतियों का उपयोग करने का मौका मिलता है।



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ट्रेडर्स के लिए सलाह

पूंजी प्रबंधन:
सुनिश्चित करें कि आपका कैपिटल लॉट साइज और जोखिम सहने के लिए पर्याप्त हो।

जोखिम/रिवॉर्ड का आकलन:
बड़ी रकम निवेश करने से पहले संभावित रिटर्न और संभावित जोखिम का संतुलन बनाए रखें।

स्टॉप लॉस का उपयोग:
हर ट्रेड में स्टॉप लॉस और टारगेट सेट करें।


लॉट साइज बढ़ने से शुरुआती निवेशक थोड़े प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन अनुभवी ट्रेडर्स के लिए यह जोखिम कम करके बेहतर अवसर प्रदान करता है।


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