बोलिंगर बैंड एक तकनीकी संकेतक।

बोलिंगर बैंड एक तकनीकी संकेतक (technical indicator) है, जिसे जॉन बोलिंगर ने विकसित किया था। यह एक चार्ट टूल है जो किसी स्टॉक, इंडेक्स, या अन्य एसेट की वोलैटिलिटी (volatility) और प्राइस मूवमेंट को मापने के लिए उपयोग किया जाता है।

बोलिंगर बैंड का निर्माण:

बोलिंगर बैंड तीन मुख्य भागों से मिलकर बनता है:

1. मिडल बैंड (Middle Band): यह आमतौर पर किसी दिए गए समय अवधि (जैसे 20 दिन) का सिंपल मूविंग एवरेज (SMA) होता है।


2. अपर बैंड (Upper Band): मिडल बैंड + (2 × स्टैंडर्ड डिविएशन)।


3. लोअर बैंड (Lower Band): मिडल बैंड - (2 × स्टैंडर्ड डिविएशन)।



कैसे काम करता है:

स्टैंडर्ड डिविएशन वोलैटिलिटी का मापन है, इसलिए जब वोलैटिलिटी बढ़ती है, तो बैंड चौड़े हो जाते हैं, और जब वोलैटिलिटी कम होती है, तो बैंड संकीर्ण हो जाते हैं।

कीमतें अक्सर अपर और लोअर बैंड के बीच रहती हैं।


ट्रेडिंग में उपयोग:

1. ओवरबॉट और ओवरसोल्ड कंडीशन पहचानना:

जब प्राइस अपर बैंड के पास हो, तो यह ओवरबॉट (Overbought) की स्थिति का संकेत दे सकता है।

जब प्राइस लोअर बैंड के पास हो, तो यह ओवरसोल्ड (Oversold) की स्थिति का संकेत हो सकता है।



2. ब्रेकआउट की पहचान:

जब प्राइस अपर या लोअर बैंड को पार करता है, तो यह एक संभावित ब्रेकआउट या नई ट्रेंड की शुरुआत का संकेत दे सकता है।



3. बैंड संकुचन (Squeeze):

जब बैंड बहुत संकीर्ण हो जाते हैं, तो यह इंगित करता है कि वोलैटिलिटी कम है और बाजार में जल्द ही बड़ी मूवमेंट हो सकती है।



4. ट्रेंड फॉलो करना:

अगर प्राइस लगातार अपर बैंड के पास हो, तो यह अपट्रेंड को इंगित करता है।

अगर प्राइस लोअर बैंड के पास हो, तो यह डाउनट्रेंड को दर्शाता है।




उदाहरण:

मान लीजिए, किसी स्टॉक की वर्तमान कीमत ₹100 है और 20-दिन का SMA ₹98 है।

अपर बैंड: ₹98 + (2 × स्टैंडर्ड डिविएशन)।

लोअर बैंड: ₹98 - (2 × स्टैंडर्ड डिविएशन)।


नोट: बोलिंगर बैंड अकेले इस्तेमाल करने के बजाय अन्य संकेतकों (जैसे RSI, MACD) के साथ मिलाकर उपयोग करना बेहतर होता है।


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