भारत में मंदी की आहट।
भारतीये शेयर बाज़ार बजट के बाद अनाथों की तरह हो गया है। इसकी गिरावट खत्म होने का नाम ले रही है। जो बाज़ार बजट के पहले नई ऊचाइयां छूने को बेताब था, उसमें बजट के बाद कि गिरावट ने उसे आईना दिखा दिया। जो सरकार भारत को सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बता रही थी,उसे भी इस तरह की गिरावट सोचने के लिये मजबूर कर रही है।
पर इस बाज़ार का गिरावट का असली खलनायक कोन है। क्या बजट में टैक्स बढ़ने से बाजार गिरा या कुछ और कारण थे। बजट की घोषणा ने एक चिंगारी का काम किया और बाज़ार में जो पहले से मंदी गहरा रही थी उसे एक ठोस कारण गिरने के लिये मिल गया। अब सरकार के हाथ में कुछ बचा है या नहीं ये कहना मुश्किल है पर बाज़ार गहरी मंदी की चपेट में है ये एक सच्चाई है। इससे जल्द कुछ न किया गया तो सरकार के GST कलेक्शन पर भी पड़ेगा और सरकार तब जाकर ये बाद मानेगी की बाज़ार में कुछ गम्भीर दिक्कत है।
अभी तो वित्त मंत्रालय ये बाद मानने से इंकार कर रही है कि बाज़ार कुछ गड़बड़ हो गयी है। और उनको टैक्स बढ़ाने का फैसला वापस लेना चाहिये। पर ये किस तरह का फैसला है जिससे लगभग 7 लाख करोड़ का मार्केट कैप का सत्यानाश हो गया। रिटेल निवेशकों का मेहनत का पैसा डूब गया। अब म्युचुअल फंड में लोग sip करने से डरेंगे। और म्यूच्यूअल फण्ड में भी निकासी की शुरुआत हो जाएगी।
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