मार्किट और सरकार

मोदी सरकार दोबारा चुना जाना मार्किट के लिये ठीक है या नहीं ये तो वक्त ही बतायेगा। पिछले 5 साल  में शेयर बाजार में तेजी आयी पर ये तेजी कुछ शेयरों तक ही सीमित थी, सबसे बुरा हाल PSU बैंक का पिछले 5 सालों में हुआ। छोटे मझोले बैंक 70 से 80% तक लुढ़क गये। मिडकैप शेयर भी आखिर के दो सालों में जबरदस्त गिरावट के शिकार रहे। फार्मा सेक्टर 5 सालों में कभी अच्छी चाल नहीं दिखा सका, बढ़ा क्या कुछ शेयरों ने ही पूरी तेजी में हिस्सा लिया जिनमें प्रमुख है,मारुति,रिलायंस, Eicher Motor, Bajaj Finance, Bajaj Auto ,Bajaj Finserv, HUL, Dabur India, ITC, escorts,Mahindra and Mahindra ऑटो सेक्टर में भी लास्ट 5 महीनों में जबरदस्त कररेक्शन आया। IIP आंकड़ो से हम समझ सकते है कि देश मे  manufacturing sector की ग्रोथ लगभग न के बराबर है। पिछले 6 महीनों में NBFC जबरदस्त लिक्विडिटी की दिक्कत और ILFS में एक्सपोज़र के कारण गिरावट आ रही है।
नई सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है इस लिक्विडिटी की प्रॉब्लम को सॉल्व करना बैंको को क्रेडिट ग्रोथ के लिये फण्ड देना। और ऑटो सहित मैनुफैक्चरिंग सेक्टर को किस तरह राहत दिया जाए और उनको वापस सही ग्रोथ में लाया जाए। इंफ्रास्ट्रक्चर को बूस्ट करने से रोजगार भी बढ़ेगा। और सरकार की अगर सभी को 2022 तक घर देना चाहती है तो इसकी योजना को किस तरह लागू किया जाय ये जल्द कदम उठाना। इस कदम से बिल्डिंग मेटेरियल और सीमेंट,स्टील में जोरदार तेजी आ सकती है। और कैपिटल गुड्स के लिये सकारात्मक कदम उठाने पर रोजगार के मौके बढ़ सकते है। रेलवे में जो  Dedicated freight corridor,Western freight corridor को जल्द से जल्द पूरा करने पर जोर देने से देश मे रोजगार और व्यपार दोनों में तेजी आएगी। पेट्रोलियम पदार्थों को GST में शामिल करने से महंगाई कम होगी।

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