नई सरकार और बाज़ारों का हाल!
आज नई सरकार आने के बाद भी शेयर बाज़ार में कोई विशेष खुशी नहीं है। कारण बाज़ार अपने कमजोरी से पार नहीं पा रहा है।
बाज़ार में पिछले 5 साल बैंकों ने ग्रोथ नहीं होने दिया,और नई सरकार के सामने NBFC के कारण फिर ग्रोथ पर ग्रहण लग रहा है। एक के बाद एक NBFC में कोई न कोई कारण से गलत खबरें आ रहीं है। NBFC पिछले 5 साल में ग्रोथ इंजन बना हुआ था। ऑटो सेक्टर में 10 में से 6 से 8 गाड़ियों का फिनांस NBFC से ही हो रहा था। जब से बाज़ार में ख़बर चली की IL&FS अपनी देनदारियों को देने में विफल हो गयी है,तब से एक से बाद एक NBFC फाइनेंसियल दिक्कत और लिक्विडिटी की दिक्कत से जूझ रहे हैं।
DHFL में एक दिन ख़बर आयी की एक म्यूच्यूअल फण्ड ने इनके बांड बेचना चाहा तो उसे बेचने में दिक्कतें आयी और बाज़ार में उस बांड के ख़रीदार बहुत मुश्किल से मिले इसके बाद से DHFL में गिरावट का दौर शुरू हो गया ,और 600 रू का शेयर 90 रू पर 2 ही महीने में आ गया।
सभी NBFC लगातार गिर रहें है, इनमें संकट का समय चल रहा है RBI भी कोई ठोस उपाय नहीं बता रहा है।
NBFC ने जबसे ऑटो सेक्टर में फिनांस कम किया गाड़ियों के बिक्री पर लग़ाम लग गयी नतीजा डीलर के पास 35 हजार करोड़ की इन्वेंट्री खड़ी हो गयीं जिससे डीलरों ने आगे गाड़ी बुकिंग बन्द कर दी जिससे कंपनियों ने प्रोडक्शन कट या बंद कर दिया।
रियल स्टेट भी जबरदस्त मंदी का शिकार हो चुका है। नोटबन्दी कि मार से घर बिकना बन्द होने के कगार पे पहुंच चुका है। पहले बिल्डरों ने घर खरीदारों को लूटा परेशान किया और NCR में ही लाखों घर ख़रीदारों के पैसे इन बिल्डरों के पास फंस गए है। लोग EMI पिछले 10 से 12 साल से भर रहें है,पर अभी भी उनको घर के पोजीशन नहीं मिला इससे ख़रीदारों के मनोबल टूट चुके है और अब कोई ख़रीदार ही बाजार में नज़र नहीं आता।
कैपिटल गुड्स सेक्टर भी जबरदस्त मंदी का शिकार हो चुका है। इन मे बहुत सारी कंपनियों में अब वर्किंग कैपिटल ही खत्म हो चुका है और नए लोन अब इनको कोई दे नहीं रहा। जिसका नतीजा रोजगार मिल नहीं रहा और बेरोजगारी चरम सीमा तक पहुंच रही है।
सरकार का बजट आने वाला है, अगर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो देश मे गंभीर संकट का दौर शुरू हो जाएगा।
मोदी को अब ये सिद्ध करना होगा कि मोदी है तो मुमकिन है।
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