विपक्ष और सरकार।

बिना विपक्ष की सरकार निरंकुश, निर्दयी,और घमंडी होती है। अगर विपक्ष अपनी विश्वशनियता खो दे तो सरकार में रहनेवाले दल बिना भय और जिम्मेदारी के सरकार चलाते है।
देश आजाद हुआ तो विपक्ष बहुत ही निर्बल और असंगठित था। पर पिछले 20 साल से पक्ष और विपक्ष में दूरी कम थी जिससे विकास और भरस्ट्राचार दोनों में जबरदस्त तरक्की हुई। पर पिछले 5 साल में फिर विपक्ष असंगठित और लोगों से कटा हुआ और उसे लगता था कि उसे भाजपा की विफलता वापस सत्ता में ला देगी। पर उसके सारे अनुमान गलत साबित हुये। और उसकी स्थिति सुधारने के बजाए और ख़राब हो गयी। अब जबतक नया विपक्ष नहीं आयेगा जो जनता को अपने से जोड़ कर विश्वास हासिल कर सके। क्योंकि पुराना विपक्ष अब अपनी खोई ज़मीन हासिल करेगी इसका बहुत कम अनुमान है। कांग्रेस भी अब नेता विहीन और दिशा विहीन हो गयी है । 5 साल चौकीदार चोर है कह कर राजनीति की पर जनता से कनेक्ट करे ये भूल गयी। भाजपा को हराने के लिये भाजपा बनने की जरूरत नहीं। क्योंकि मंदिर जा कर हिन्दू मुसलमान कर आप जीत नहीं सकते । तब क्या करना चाहिये आसान है भाजपा की नीतियों की नाकामयाबी और योजनाओं का जमीन न उतारना उसे उजागर करना।
लोगों में रोजगार की कमी और जनसुविधा में कमी जैसे अस्पताल, स्कूल और मिडिल क्लास पर महंगाई की मार को जोर शोर से उठाना। इसके लिये सबसे निचले स्तर पर लोगों से मेलजोल और अपनी पहुंच बढ़ाना, ये सबसे बड़ा कदम होगा।
विपक्ष को अब जात-पात,हिन्दू मुसलमान को छोड़ लोगों से संपर्क बढ़ाना ही एक मात्र उपाय है।
मोदी के जादू को तोड़ने के लिये कोई मोदी के मुकाबले का ही शख्स खोजना पड़ेगा जो अपनी ईमानदारी और राजनीतिक शुद्धता में उनसे कम न हो। नए सरकार की चुनौती रोजगार और व्यपार दोनों मुँह बाये खड़ी है। आज सैकड़ों कंपनियों में दिवालिया होने का ख़तरा है,और अगर खड़ी युद्ध भड़का तो सरकार महंगाई के मोर्चे पर घिर सकती है और ग्रोथ को नीचे ला सकती है।

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