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Showing posts from November, 2024

Intraday ट्रेडिंग में निफ्टी ऑप्शंस और बैंकनिफ्टी ऑप्शन टारगेट।

Intraday ट्रेडिंग में निफ्टी ऑप्शंस और बैंकनिफ्टी ऑप्शंस के लिए सुरक्षित टारगेट और स्टॉप लॉस सेट करना ट्रेडर की रणनीति, बाजार की स्थिति, और जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करता है। लेकिन सामान्य तौर पर कुछ गाइडलाइंस यह हो सकती हैं: 1. निफ्टी ऑप्शंस के लिए: टारगेट (Target): 20-30% का रिटर्न प्रीमियम पर, यानी अगर आपने ₹100 के प्रीमियम पर बाय किया है तो ₹120-130 पर बुक कर सकते हैं। पॉइंट्स के हिसाब से, निफ्टी में 30-50 पॉइंट्स का मूव सामान्य होता है। स्टॉप लॉस (Stop Loss): प्रीमियम का 10-15%, यानी अगर ₹100 पर बाय किया है तो ₹85-90 पर स्टॉप लॉस लगाएं। निफ्टी में 15-20 पॉइंट्स का स्टॉप लॉस रखें। 2. बैंकनिफ्टी ऑप्शंस के लिए: टारगेट (Target): 30-50% का रिटर्न प्रीमियम पर, यानी अगर ₹200 पर बाय किया है तो ₹260-300 पर बुक करें। पॉइंट्स के हिसाब से बैंकनिफ्टी में 70-100 पॉइंट्स का मूव सामान्य है। स्टॉप लॉस (Stop Loss): प्रीमियम का 15-20%, यानी ₹200 पर बाय किया है तो ₹160-170 पर स्टॉप लॉस। पॉइंट्स में 30-50 पॉइंट्स का स्टॉप लॉस रखें। सुरक्षित ट्रेडिंग के लिए सुझाव: 1. ट्रेंड पहचानें: बाजार की दिशा ...

FPO,Right Issue, prefencial Share और Buy back kya होता है ।

1. FPO (Follow-on Public Offer) क्या है: यह तब होता है जब कोई कंपनी, जो पहले से ही शेयर बाजार में लिस्टेड है, अपने नए शेयर जारी करके पूंजी जुटाती है। उद्देश्य: कंपनी अपने विस्तार, कर्ज चुकाने या अन्य जरूरतों के लिए फंड जुटाने के लिए FPO करती है। जारी मूल्य: FPO का शेयर मूल्य आमतौर पर बाजार मूल्य से कम रखा जाता है ताकि निवेशकों को आकर्षित किया जा सके। --- 2. Right Issue क्या है: कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को अतिरिक्त शेयर खरीदने का अधिकार देती है, आमतौर पर एक डिस्काउंट पर। उद्देश्य: पूंजी जुटाने का यह तरीका कंपनी के वर्तमान शेयरधारकों को प्राथमिकता देता है। विशेषता: शेयरधारक इस अधिकार का उपयोग कर सकते हैं या इसे अनदेखा कर सकते हैं। --- 3. Preferential Share (प्राथमिकता शेयर) क्या है: ये ऐसे शेयर होते हैं जिनके धारकों को सामान्य शेयरधारकों से पहले लाभांश और पूंजी वापसी का अधिकार मिलता है। प्रकार: 1. Cumulative: यदि किसी वर्ष लाभांश नहीं दिया जाता, तो उसे अगले वर्ष जोड़ दिया जाता है। 2. Non-Cumulative: पिछले वर्षों का लाभांश नहीं जोड़ा जाता। मताधिकार: प्रायः प्राथमिकता शेयरधारकों को वोट...

Piotroski Scan एक प्रकार का वित्तीय स्वास्थ्य (financial health)

Piotroski Scan एक प्रकार का स्कैन या एनालिसिस है, जो किसी कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य (financial health) और उसकी निवेश की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह स्कैन Piotroski F-Score पर आधारित होता है, जिसे 2000 में जोसेफ पीओट्रोस्की (Joseph Piotroski) ने विकसित किया था। इसका उद्देश्य उन कंपनियों की पहचान करना है, जिनकी वित्तीय स्थिति मजबूत है और जिनमें निवेश के अच्छे अवसर हो सकते हैं। --- Piotroski F-Score क्या है? Piotroski F-Score एक स्कोरिंग सिस्टम है, जिसमें 9 पॉइंट्स का उपयोग किया जाता है। यह कंपनियों के वित्तीय आंकड़ों का विश्लेषण करके उन्हें 0 से 9 के बीच स्कोर देता है। 9 का स्कोर: कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन बहुत अच्छा है। 0 का स्कोर: कंपनी की वित्तीय स्थिति खराब है। 7 या उससे अधिक: निवेश के लिए अच्छे विकल्प। 3 या उससे कम: खराब प्रदर्शन वाली कंपनियां। --- Piotroski F-Score के 9 पैरामीटर 1. प्रॉफिटेबिलिटी (Profitability) Net Income (शुद्ध आय): शुद्ध आय पिछले साल की तुलना में सकारात्मक होनी चाहिए। ROA (Return on Assets): कंपनी की संपत्तियों पर रिटर्न सकारात्मक होना च...

इंट्राडे ट्रेडिंग के टेक्निकल चार्ट का उपयोग ।

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए शेयरों का चुनाव टेक्निकल चार्ट का उपयोग करके करना बेहद प्रभावी हो सकता है। नीचे दिए गए चरणों और प्रमुख इंडिकेटर्स के आधार पर आप सही शेयर का चुनाव कर सकते हैं: --- 1. चार्ट का समय फ्रेम चुनें इंट्राडे के लिए आमतौर पर 5 मिनट, 15 मिनट, और 30 मिनट के चार्ट उपयुक्त होते हैं। छोटे समय फ्रेम पर ध्यान दें, क्योंकि ये छोटे मूवमेंट को बेहतर तरीके से दिखाते हैं। --- 2. ट्रेंड की पहचान करें (Trend Analysis) अपट्रेंड (Uptrend): जब स्टॉक के प्राइस उच्च हाई (Higher High) और उच्च लो (Higher Low) बना रहे हों। डाउनट्रेंड (Downtrend): जब स्टॉक लोअर हाई (Lower High) और लोअर लो (Lower Low) बना रहे हों। साइडवे ट्रेंड: जब प्राइस सीमित दायरे में हो। --- 3. प्रमुख टेक्निकल इंडिकेटर्स का उपयोग करें i. मूविंग एवरेज (Moving Averages) SMA (Simple Moving Average): 50-दिन और 200-दिन की मूविंग एवरेज से ट्रेंड की पहचान करें। यदि प्राइस मूविंग एवरेज के ऊपर है, तो यह अपट्रेंड दर्शाता है। EMA (Exponential Moving Average): 9-दिन और 21-दिन की EMA इंट्राडे के लिए अधिक उपयोगी होती है। ii. सपोर्ट और र...

इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयरों का चुनाव ।

इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयरों का चुनाव करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आप सही निर्णय ले सकें और लाभ कमाने की संभावना बढ़ सके। नीचे इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए शेयरों का चुनाव करने के कुछ महत्वपूर्ण टिप्स दिए गए हैं: 1. उच्च लिक्विडिटी वाले शेयर चुनें ऐसे शेयर चुनें जिनमें ट्रेडिंग वॉल्यूम अधिक हो। लिक्विडिटी से तात्पर्य है कि आप आसानी से शेयर खरीद और बेच सकें। निफ्टी 50 और सेंसेक्स के शेयर आमतौर पर अधिक लिक्विड होते हैं। 2. वोलैटिलिटी वाले शेयर चुनें इंट्राडे ट्रेडिंग में वोलैटिलिटी (मूल्य में उतार-चढ़ाव) जरूरी है क्योंकि यही ट्रेडिंग के अवसर पैदा करता है। ऐसे शेयर चुनें जिनमें दिनभर में कम से कम 2-3% का मूवमेंट हो। 3. खबरों से प्रभावित होने वाले शेयर कंपनी से संबंधित खबरें, जैसे तिमाही परिणाम, नई डील्स, या सरकारी घोषणाएं, शेयर के भाव को प्रभावित करती हैं। ऐसी खबरों वाले शेयरों पर नजर रखें। 4. ट्रेंडिंग शेयर चुनें मार्केट ट्रेंड में जो शेयर लगातार चर्चा में रहते हैं, उन्हें चुनें। आप न्यूज, सोशल मीडिया और स्टॉक मार्केट प्लेटफॉर्म पर ट्रेंडिंग शेयर देख सकते हैं। 5. तक...

मंथली कॉन्ट्रैक्ट में थीटा लॉस (Time Decay) को कम से कम रखने के लिए सही स्ट्राइक प्राइस का चुनाव।

मंथली कॉन्ट्रैक्ट में थीटा लॉस (Time Decay) को कम से कम रखने के लिए सही स्ट्राइक प्राइस का चुनाव करना महत्वपूर्ण है। थीटा लॉस का प्रभाव मुख्य रूप से In-the-Money (ITM), At-the-Money (ATM) और Out-of-the-Money (OTM) ऑप्शंस पर अलग-अलग होता है। इसे समझने के लिए इन पॉइंट्स पर ध्यान दें: --- 1. थीटा लॉस का प्रभाव: OTM (Out-of-the-Money): OTM ऑप्शंस में सबसे तेज़ थीटा लॉस होता है, खासकर एक्सपायरी के करीब। ये ऑप्शंस सस्ते होते हैं लेकिन जोखिम ज्यादा होता है। ATM (At-the-Money): ATM ऑप्शंस में थीटा लॉस भी तेज़ होता है, क्योंकि इनकी टाइम वैल्यू सबसे ज्यादा होती है। ITM (In-the-Money): ITM ऑप्शंस में थीटा लॉस कम होता है क्योंकि इनमें इंट्रिंसिक वैल्यू ज्यादा होती है। --- 2. सही स्ट्राइक प्राइस का चयन: थीटा लॉस को कम करने के लिए ITM ऑप्शंस का चयन करना सबसे अच्छा रहता है, लेकिन यह आपकी रणनीति पर निर्भर करता है: थीटा लॉस कम करने के लिए: ITM कॉल ऑप्शन चुनें अगर आप बुलिश हैं। ITM पुट ऑप्शन चुनें अगर आप बियरिश हैं। स्ट्राइक प्राइस कैसे चुनें: Nifty Example: अगर Nifty का स्पॉट प्राइस 20,000 है और आप बुल...

Bullish Harami Pattern क्या होता है।

Bullish Harami Pattern एक प्रमुख candlestick pattern है, जो तकनीकी विश्लेषण में इस्तेमाल किया जाता है। यह आम तौर पर डाउनट्रेंड (गिरावट) के अंत में दिखाई देता है और बाजार के उलटने (trend reversal) का संकेत देता है। यह पैटर्न बुलिश ट्रेंड की शुरुआत की संभावना को दर्शाता है। --- पैटर्न की संरचना (Structure of Bullish Harami): 1. पहली कैंडलस्टिक (Large Bearish Candle): यह एक लंबी बियरिश कैंडल (लाल/काली) होती है, जो दर्शाती है कि बाजार में बिकवाली का दबाव है। 2. दूसरी कैंडलस्टिक (Small Bullish Candle): दूसरी कैंडल छोटी और बुलिश (हरी/सफेद) होती है। इसका बॉडी पहली कैंडल के बॉडी के भीतर रहती है, यानी यह पहली कैंडल के हाई और लो के अंदर बंद होती है। दूसरी कैंडल का आकार छोटा होने के कारण इसे इनसाइड बार भी कहा जा सकता है। --- पैटर्न को समझने का कारण (Logic Behind the Pattern): पहली कैंडल बिकवाली के दबाव को दर्शाती है। दूसरी कैंडल छोटी होती है, जो यह दिखाती है कि बिकवाली कमजोर हो रही है और खरीदार बाजार में आ रहे हैं। यह बाजार में संभावित उलटफेर का संकेत है, जहां बुल्स धीरे-धीरे नियंत्रण हासिल कर रह...

Future trading में पोजीशन को हेज करना ।

Future trading में पोजीशन को हेज करना और रिस्क मैनेज करना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि यह एक leveraged product है और इसमें जोखिम अधिक होता है। यहाँ कुछ मुख्य तरीके दिए गए हैं जिनसे आप अपनी पोजीशन को हेज और रिस्क को मैनेज कर सकते हैं: 1. ऑप्शन का उपयोग करें (Use Options for Hedging): पुट ऑप्शन खरीदना (Buying Put Options): यदि आपने फ्यूचर में किसी स्टॉक को खरीदा है (लॉन्ग पोजीशन ली है), तो उसके लिए एक पुट ऑप्शन खरीद सकते हैं। यह कीमत गिरने पर आपको नुकसान से बचाएगा। उदाहरण: आपने Nifty का फ्यूचर 20,000 पर खरीदा है। आप 19,800 का पुट ऑप्शन खरीद सकते हैं। यदि Nifty गिरता है, तो ऑप्शन प्रीमियम से आपका नुकसान कम होगा। कॉल ऑप्शन खरीदना (Buying Call Options): यदि आपने किसी फ्यूचर में शॉर्ट पोजीशन ली है, तो आप हेजिंग के लिए कॉल ऑप्शन खरीद सकते हैं। यह कीमत बढ़ने पर आपका नुकसान कम करेगा। --- 2. स्टॉप लॉस का उपयोग करें (Use Stop Loss): हर ट्रेड के लिए स्टॉप लॉस सेट करें। यह तय करें कि आप अधिकतम कितना नुकसान सह सकते हैं। उदाहरण: यदि आपने 1,000 पर फ्यूचर खरीदा है और आपका रिस्क टॉलरेंस ₹20 है, तो स्टॉप लॉस ...

SIP (Systematic Investment Plan)

SIP (Systematic Investment Plan) निवेश का एक सरल और अनुशासित तरीका है। यह नियमित अंतराल पर छोटे-छोटे निवेश करने की सुविधा देता है, जिससे लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार होता है। SIP क्यों जरूरी है, यह निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है: 1. छोटे निवेश से बड़ा फंड तैयार करना SIP में आप छोटे-छोटे निवेश करके लंबे समय में एक बड़ा फंड बना सकते हैं। उदाहरण के लिए, ₹1000 प्रति माह का निवेश 10-15 साल में लाखों में बदल सकता है। 2. रुपये की लागत औसत (Rupee Cost Averaging) SIP के माध्यम से जब आप नियमित निवेश करते हैं, तो बाजार के उतार-चढ़ाव का असर कम हो जाता है। जब बाजार गिरता है, तो आपको अधिक यूनिट्स मिलती हैं, और जब बाजार बढ़ता है, तो आपके निवेश की वैल्यू बढ़ती है। 3. लंबी अवधि के लिए अनुशासन बनाए रखना SIP एक अनुशासनात्मक तरीका है, जिससे आप नियमित रूप से निवेश करना जारी रखते हैं। इससे आप बिना बाजार की दिशा के बारे में चिंता किए निवेश करते रहते हैं। 4. छोटे बजट में निवेश की सुविधा SIP में आप कम से कम ₹500 से भी शुरुआत कर सकते हैं, जो किसी के लिए भी आसान है। 5. लक्ष्य-आधारित निवेश SIP के जरिए आप ब...

Financial Ratios क्या होता है।

Financial Ratios वे मापदंड हैं, जो किसी कंपनी की वित्तीय स्थिति और प्रदर्शन को समझने में मदद करते हैं। ये रेशियो कंपनी की बैलेंस शीट, प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट, और कैश फ्लो स्टेटमेंट के आंकड़ों का उपयोग करके बनाए जाते हैं। इनका उपयोग मुख्य रूप से निवेशकों, एनालिस्ट्स और मैनेजमेंट द्वारा कंपनी के आर्थिक स्वास्थ्य, मुनाफा, देनदारी और लिक्विडिटी का आकलन करने के लिए किया जाता है। --- प्रमुख Financial Ratios और उनका महत्व: 1. लिक्विडिटी रेशियो (Liquidity Ratios): यह कंपनी की शॉर्ट-टर्म देनदारियां चुकाने की क्षमता को दर्शाता है। Current Ratio = Current Assets / Current Liabilities (यदि यह रेशियो 1 से ज्यादा है, तो कंपनी अपनी शॉर्ट-टर्म देनदारियों को पूरा करने में सक्षम है।) Quick Ratio = (Current Assets - Inventory) / Current Liabilities (यह अधिक सटीकता से लिक्विडिटी दर्शाता है क्योंकि इसमें इन्वेंटरी को शामिल नहीं किया जाता।) 2. प्रॉफिटेबिलिटी रेशियो (Profitability Ratios): कंपनी की मुनाफा कमाने की क्षमता का आकलन करता है। Net Profit Margin = (Net Profit / Revenue) × 100 (कंपनी की कुल बिक्री...

Fundamental Analysis क्या होता है।

Fundamental Analysis एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से किसी कंपनी के आर्थिक प्रदर्शन और आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना होता है कि किसी कंपनी के शेयर का असली मूल्य (Intrinsic Value) क्या है और क्या वह शेयर वर्तमान बाजार मूल्य पर अंडरवैल्यूड (Undervalued) या ओवरवैल्यूड (Overvalued) है। फंडामेंटल एनालिसिस के प्रमुख घटक: 1. कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन: बैलेंस शीट: कंपनी की संपत्तियां (Assets) और देनदारियां (Liabilities)। प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट: मुनाफा और घाटे का विवरण। कैश फ्लो स्टेटमेंट: नकदी प्रवाह की जानकारी। 2. कंपनी का मैक्रो और माइक्रो एनवायरनमेंट: अर्थव्यवस्था की स्थिति, ब्याज दरें, महंगाई, और अन्य बाहरी कारक। कंपनी का बिजनेस मॉडल, प्रतिस्पर्धा, और बाजार में उसका स्थान। 3. फंडामेंटल मेट्रिक्स: P/E Ratio (Price to Earnings Ratio): शेयर का मूल्य कंपनी के प्रति शेयर लाभ (EPS) के अनुपात में। P/B Ratio (Price to Book Ratio): शेयर का मूल्य कंपनी की बुक वैल्यू के अनुपात में। ROE (Return on Equity): कंपनी की शेयरधारकों के पैसे पर मुनाफा कमाने की...

ऑप्शन ग्रीक ऑप्शन ट्रेडिंग में क्या महत्व है।

ऑप्शन ग्रीक ऑप्शन ट्रेडिंग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, क्योंकि ये ऑप्शन की कीमत पर विभिन्न कारकों (जैसे समय, वोलैटिलिटी और अंतर्निहित स्टॉक की कीमत में बदलाव) के प्रभाव को मापते हैं। ग्रीक का उपयोग ट्रेडिंग निर्णय लेने और जोखिम प्रबंधन के लिए किया जाता है। ऑप्शन ग्रीक और उनका महत्व 1. डेल्टा (Delta) परिभाषा: डेल्टा यह दर्शाता है कि अगर अंतर्निहित स्टॉक की कीमत ₹1 बढ़ती है, तो ऑप्शन की कीमत कितनी बदल जाएगी। मान: डेल्टा का मान Call Option के लिए 0 से 1 और Put Option के लिए -1 से 0 के बीच होता है। महत्व: स्टॉक की दिशा में बदलाव से ऑप्शन की कीमत पर प्रभाव का अनुमान लगाने में मदद करता है। Delta Neutral रणनीतियों (जहां कुल डेल्टा 0 हो) में उपयोगी। 2. गामा (Gamma) परिभाषा: गामा यह मापता है कि स्टॉक की कीमत में बदलाव के साथ डेल्टा कितना बदलता है। महत्व: यह दर्शाता है कि आपका डेल्टा कितना स्थिर या अस्थिर है। Gamma Risk को समझना ज़रूरी है, खासकर शॉर्ट टर्म ऑप्शंस में। 3. थीटा (Theta) परिभाषा: थीटा यह मापता है कि समय बीतने (Time Decay) से ऑप्शन की कीमत कितनी कम होती है। महत्व: ऑप्शन खरीद...

ऑप्शन ट्रेडिंग में सावधानी बरतना बहुत ज़रूरी है।

ऑप्शन ट्रेडिंग में सावधानी बरतना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि इसमें जोखिम अधिक होता है। यहां कुछ प्रमुख सावधानियां दी गई हैं: 1. जोखिम को समझें ऑप्शन ट्रेडिंग में लेवरेज होता है, जिससे मुनाफा और नुकसान दोनों तेज़ी से हो सकते हैं। Call और Put ऑप्शन की प्रकृति को अच्छी तरह समझें। ऑप्शन का premium खोने का खतरा हमेशा रहता है। 2. लिमिटेड कैपिटल से शुरुआत करें शुरू में सीमित राशि से ट्रेड करें। पूरा पोर्टफोलियो ऑप्शन में न लगाएं। 3. स्ट्रैटेजी का पालन करें Hedging या Spreads जैसी रणनीतियों का उपयोग करें। बिना तैयारी या प्लान के ट्रेड न करें। 4. मार्केट का विश्लेषण करें Volatility Index (VIX) और Open Interest (OI) जैसे डेटा का अध्ययन करें। सिर्फ कयासों पर ट्रेड न करें। 5. समय सीमा (Expiry) ऑप्शन की समय सीमा का ध्यान रखें। समय के साथ ऑप्शन का मूल्य (Time Decay) कम होता है। Short Term ट्रेडिंग के लिए अधिक सावधानी रखें। 6. Stop Loss और Target तय करें हर ट्रेड के लिए Stop Loss और Target तय करें। लालच से बचें और अपने नियमों का पालन करें। 7. डायवर्सिफिकेशन सिर्फ एक सेक्टर या स्टॉक में ट्रेड न करें। विवि...

टेक्निकल एनालिसिस के जरिए स्टॉक कैसे चुनें।

टेक्निकल एनालिसिस के जरिए स्टॉक चुनने के लिए चार्ट्स और इंडिकेटर्स का उपयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया स्टॉक की कीमत और वॉल्यूम पर आधारित होती है। नीचे कुछ महत्वपूर्ण तकनीकी मापदंड (technical parameters) दिए गए हैं, जिनकी मदद से आप स्टॉक चुन सकते हैं: --- 1. ट्रेंड एनालिसिस (Trend Analysis): अपट्रेंड: अगर स्टॉक की कीमत ऊंचाई बनाते हुए लगातार बढ़ रही है, तो यह खरीदने का संकेत है। डाउनट्रेंड: लगातार गिरती कीमत बेचने का संकेत देती है। साइडवे ट्रेंड: जब स्टॉक की कीमत एक दायरे में रहती है, तब इंतजार करना बेहतर होता है। टूल्स: मूविंग एवरेज (Moving Average): 50-day, 100-day, और 200-day मूविंग एवरेज को देखकर लंबी अवधि का ट्रेंड पहचानें। जब कीमत मूविंग एवरेज से ऊपर हो, तो यह बुलिश संकेत देता है। --- 2. सपोर्ट और रेजिस्टेंस (Support and Resistance): सपोर्ट लेवल: वह स्तर जहां स्टॉक की कीमत गिरने से रुक जाती है और खरीदारी बढ़ती है। रेजिस्टेंस लेवल: वह स्तर जहां स्टॉक की कीमत बढ़ने से रुक जाती है और बिकवाली बढ़ती है। जब स्टॉक सपोर्ट पर हो, तो खरीदने का मौका होता है। जब स्टॉक रेजिस्टेंस को पार करे (...

Stock investment का फंडामेंटल एनालिसिस

किसी स्टॉक को चुनने के लिए फंडामेंटल एनालिसिस के तहत निम्नलिखित मापदंडों (criteria) का उपयोग किया जाता है: 1. कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन (Financial Performance): राजस्व वृद्धि (Revenue Growth): कंपनी के राजस्व में निरंतर वृद्धि होनी चाहिए। मुनाफा (Profitability): शुद्ध मुनाफा (Net Profit Margin) और परिचालन मार्जिन (Operating Margin) स्थिर और बढ़ते हुए होने चाहिए। ईपीएस (Earnings Per Share): यह बताता है कि कंपनी ने प्रति शेयर कितनी कमाई की। उच्च और स्थिर EPS बेहतर संकेत है। 2. वैल्यूएशन (Valuation): पी/ई रेशियो (Price to Earnings Ratio): यह कंपनी के शेयर की कीमत को उसकी प्रति शेयर आय से तुलना करता है। यह क्षेत्र और उद्योग के औसत से ज्यादा नहीं होना चाहिए। पी/बी रेशियो (Price to Book Ratio): यह बताता है कि शेयर की कीमत उसकी बुक वैल्यू के मुकाबले कितनी है। 3. ऋण प्रबंधन (Debt Management): डेब्ट टू इक्विटी रेशियो: यह कंपनी की वित्तीय स्थिरता का संकेत देता है। कम रेशियो सुरक्षित होता है। इंटरेस्ट कवरेज रेशियो: यह दिखाता है कि कंपनी अपने कर्ज के ब्याज का भुगतान कितनी आसानी से कर सकती है। 4. प...