Bear Call Spread

Bear Call Spread एक ऑप्शन ट्रेडिंग रणनीति है, जिसका उपयोग तब किया जाता है जब कोई निवेशक या ट्रेडर यह मानता है कि बाजार या किसी स्टॉक की कीमत थोड़ी गिर सकती है या स्थिर रह सकती है। यह रणनीति सीमित जोखिम और सीमित मुनाफे वाली होती है और इसे आमतौर पर कंसर्वेटिव (संरक्षित) शॉर्ट सेलिंग के विकल्प के रूप में देखा जाता है।

इसमें दो प्रमुख स्टेप्स शामिल होते हैं:

1. Call Option बेचना (Short Call): ट्रेडर एक लोअर स्ट्राइक प्राइस पर एक कॉल ऑप्शन बेचता है। इसके बदले में, वह प्रीमियम प्राप्त करता है। यह स्ट्राइक प्राइस आमतौर पर स्टॉक की मौजूदा मार्केट प्राइस के करीब या उससे थोड़ा अधिक होती है।


2. Call Option खरीदना (Long Call): ट्रेडर एक हायर स्ट्राइक प्राइस पर एक कॉल ऑप्शन खरीदता है, जिसका उद्देश्य किसी बड़े नुकसान से बचाव करना होता है। इस ऑप्शन के लिए वह प्रीमियम देता है, लेकिन इसका उद्देश्य सीमित नुकसान रखना होता है।



उदाहरण:

मान लीजिए, किसी स्टॉक की मौजूदा कीमत ₹100 है। आप:

₹105 स्ट्राइक प्राइस पर एक कॉल ऑप्शन बेचते हैं, जिसकी प्रीमियम ₹10 है।

₹115 स्ट्राइक प्राइस पर एक कॉल ऑप्शन खरीदते हैं, जिसकी प्रीमियम ₹5 है।


इस स्थिति में:

कुल प्रीमियम प्राप्त: ₹10 (बेचने से) - ₹5 (खरीदने पर) = ₹5।

यदि स्टॉक की कीमत ₹105 से ऊपर नहीं जाती है, तो आपको पूरा प्रीमियम (₹5) मुनाफे के रूप में मिलेगा।

अधिकतम मुनाफा: यह ₹5 तक सीमित है, जो आप ऑप्शन बेचने के बाद रखते हैं।

अधिकतम नुकसान: यदि स्टॉक की कीमत ₹115 से ऊपर जाती है, तो आपका नुकसान दो स्ट्राइक प्राइस के बीच के अंतर (₹115 - ₹105 = ₹10) तक हो सकता है, लेकिन इसमें से ₹5 प्रीमियम आपने पहले ही कमा लिया है। इसलिए आपका अधिकतम नुकसान ₹5 रहेगा।


सारांश:

Bear Call Spread एक सीमित जोखिम और सीमित मुनाफे वाली रणनीति है, जिसका उपयोग तब किया जाता है जब बाजार के गिरने या स्थिर रहने की उम्मीद होती है।

इसका मुख्य उद्देश्य सीमित मुनाफा अर्जित करना होता है, लेकिन एक बड़े नुकसान की स्थिति में भी जोखिम को कंट्रोल करना।

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