Buyback (बायबैक) क्या होता है।
Buyback (बायबैक) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कंपनी अपने ही शेयरों को बाजार से वापस खरीदती है। यह आमतौर पर उन शेयरधारकों को प्रस्तावित किया जाता है, जो अपने शेयर कंपनी को बेचने के इच्छुक होते हैं। कंपनी इस प्रक्रिया में अपने शेयरों की संख्या कम करती है, जिससे बचे हुए शेयरों की वैल्यू में वृद्धि हो सकती है।
Buyback के कारण:
1. अधिक शेयर उपलब्धता: जब बाजार में शेयर अधिक मात्रा में होते हैं और उनकी कीमत कम हो जाती है, तो कंपनी अपने शेयरों को बायबैक कर सकती है ताकि उनकी आपूर्ति कम हो और कीमत बढ़ सके।
2. अतिरिक्त नकदी: अगर कंपनी के पास नकदी की अधिकता है और उसके पास इसे निवेश करने के लिए कोई अच्छा अवसर नहीं है, तो वह शेयर बायबैक कर सकती है।
3. शेयरधारकों का विश्वास बढ़ाना: जब कंपनी बायबैक करती है, तो यह एक संकेत हो सकता है कि कंपनी को अपने भविष्य के बारे में विश्वास है और वह चाहती है कि शेयरधारकों को इसका फायदा मिले।
4. EPS (Earnings Per Share) बढ़ाना: बायबैक के बाद कंपनी के पास कम शेयर होते हैं, जिससे उसकी प्रति शेयर आय (EPS) बढ़ जाती है, जो निवेशकों के लिए आकर्षक हो सकता है।
Buyback के फायदे:
बचे हुए शेयरधारकों को फायदा: बायबैक के बाद शेयरों की कीमत बढ़ सकती है, जिससे बचे हुए शेयरधारकों को लाभ होता है।
निवेशकों को अतिरिक्त पैसा: जो निवेशक अपने शेयर कंपनी को बेचते हैं, उन्हें सीधे नकदी मिलती है।
Buyback के नुकसान:
निवेश के अवसरों की कमी: अगर कंपनी अपने शेयरों को बायबैक करने के बजाय उस पैसे का उपयोग नई परियोजनाओं या निवेश में करती, तो वह अधिक विकास कर सकती थी।
कंपनी की नकदी में कमी: बायबैक से कंपनी के पास नकदी की कमी हो सकती है, जिससे भविष्य में किसी संकट से निपटने में मुश्किल हो सकती है।
कुल मिलाकर, बायबैक एक ऐसा तरीका है जिससे कंपनी अपने शेयरधारकों को अतिरिक्त लाभ पहुंचा सकती है और अपने शेयरों की कीमत को स्थिर या बढ़ा सकती है।
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