डिविडेंड, राइट इश्यू और डिबेंचर
डिविडेंड, राइट इश्यू और डिबेंचर तीनों अलग-अलग वित्तीय अवधारणाएं हैं, जिनका उद्देश्य कंपनी और निवेशकों के बीच पूंजी का आदान-प्रदान करना है। आइए इनके बीच के अंतर को समझते हैं:
1. डिविडेंड (Dividend):
अर्थ: डिविडेंड वह हिस्सा होता है जो कंपनी अपने लाभ (प्रॉफिट) का एक हिस्सा अपने शेयरधारकों (shareholders) को बांटती है।
प्राप्तकर्ता: केवल वे लोग जो कंपनी के शेयर होल्ड करते हैं, उन्हें डिविडेंड मिलता है।
प्रकार: यह कैश डिविडेंड (cash dividend) या स्टॉक डिविडेंड (stock dividend) के रूप में हो सकता है।
लाभ: शेयरधारकों को कंपनी के मुनाफे का हिस्सा मिलता है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर साल डिविडेंड दिया जाए। यह कंपनी के मुनाफे पर निर्भर करता है।
जोखिम: कंपनी के मुनाफे में कमी होने पर डिविडेंड नहीं मिल सकता।
2. राइट इश्यू (Right Issue):
अर्थ: राइट इश्यू एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को नए शेयर खरीदने का अधिकार (लेकिन बाध्यता नहीं) देती है, और यह सामान्य रूप से मौजूदा मार्केट प्राइस से कम कीमत पर होता है।
उद्देश्य: कंपनी पूंजी जुटाने के लिए राइट इश्यू करती है, ताकि वह अपने विस्तार या अन्य खर्चों के लिए धन प्राप्त कर सके।
प्राप्तकर्ता: केवल मौजूदा शेयरधारकों को यह अधिकार मिलता है, और वे चाहें तो इन नए शेयरों को खरीद सकते हैं या इस अधिकार को नजरअंदाज कर सकते हैं।
जोखिम: यदि आप नए शेयर खरीदते हैं और कंपनी का प्रदर्शन खराब होता है, तो आपकी निवेश की गई राशि जोखिम में आ सकती है।
3. डिबेंचर (Debenture):
अर्थ: डिबेंचर एक प्रकार का कर्ज होता है जो कंपनी अपने निवेशकों से लेती है। डिबेंचर जारी करने पर कंपनी उस पर एक निश्चित ब्याज दर (interest rate) देती है।
प्राप्तकर्ता: डिबेंचरधारक (debenture holders) को कंपनी ब्याज के रूप में नियमित भुगतान करती है, और डिबेंचर की मैच्योरिटी पर निवेश की गई मूल राशि वापस करती है।
लाभ: डिबेंचरधारकों को नियमित रूप से ब्याज मिलता है, चाहे कंपनी मुनाफा कमाए या नहीं। यह एक कम जोखिम वाला निवेश होता है, क्योंकि इसमें निश्चित ब्याज दर और भुगतान की गारंटी होती है।
जोखिम: अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो डिबेंचरधारक पहले भुगतान पाने के हकदार होते हैं, लेकिन इसमें भी कंपनी की वित्तीय स्थिति के आधार पर जोखिम हो सकता है।
अंतर सारांश:
इन तीनों का मुख्य अंतर यह है कि डिविडेंड और राइट इश्यू केवल शेयरधारकों से संबंधित होते हैं, जबकि डिबेंचर निवेशकों को एक निश्चित रिटर्न प्रदान करता है, भले ही वे कंपनी के शेयरधारक न हों।
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